गुरुत्वाकर्षण बल क्या है? (Gravitational Force)

यदि किसी वस्तु को पृथ्वी से ऊपर कुछ ऊँचाई पर ले जाकर स्वतन्त्र छोड़ दिया जाए, तो वह वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है। पृथ्वी की ओर गति करते हुए वस्तु की चाल धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। इसका अर्थ है कि वस्तु पर कोई बल अवश्य कार्य कर रहा है। यह बल, पृथ्वी और वस्तु के बीच आकर्षण के कारण होता है, यह गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।

वास्तव में, पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपने केन्द्र की ओर खींचती है, जिसके कारण ऊँचाई से वस्तुएँ स्वतः ही पृथ्वी पर गिरती हैं। उदाहरण- पेड़ों से टूटकर पृथ्वी पर गिरने वाले फल एवं सब्जियाँ ।

स्थिर

न्यूटन ने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि इस ब्रह्माण्ड में सभी वस्तुएँ एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। अपने द्रव्यमान के कारण दो वस्तुएँ एक-दूसरे को जिस बल से अपनी ओर आकर्षित करती हैं, उस बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। अतः दो वस्तुओं बढ़ते वेग में या पिण्डों द्वारा एक-दूसरे के आकर्षण के गुण को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।

Gravitational Force
Gravitational Force

पिण्ड को स्वतन्त्र छोड़ते समय पिण्ड विरामावस्था में रहता है। इस पर पृथ्वी का आकर्षण बल आरोपित होता है, जिससे पिण्ड के वेग में त्वरण उत्पन्न होता है, जो उसे पृथ्वी की ओर गतिशील करता है तथा बढ़ते हुए वेग के साथ यह पृथ्वी से टकराता है।

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम

सन् 1686 में वैज्ञानिक न्यूटन ने बताया कि ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण, दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है। ब्रह्माण्ड में किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाले आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही पृथ्वी सूर्य के तथा चन्द्रमा, पृथ्वी के परितः घूमते हैं। वास्तव में यह बल ही सभी ग्रहों तथा उपग्रहों की गति के लिए उत्तरदायी है।

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार, “ब्रह्माण्ड में किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।” इस बल की दिशा दोनों कणों को मिलाने वाली रेखा की सीध में होती है।

जहाँ G एक अनुक्रमानुपाती नियतांक है, इसे न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहते हैं। इसका मान पिण्डों की प्रकृति, माध्यम, समय, स्थान, ताप आदि पर निर्भर नहीं करता। इसलिए इसे सार्वत्रिक नियतांक (universal constant) कहते हैं।

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G की परिभाषा (Definition of Universal Gravitational)

G का ऑकिक मान (Numerical Value of G)

सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक G का मान 6.67 x 10-11 न्यूटन मीटर /किग्रा है। इसका अर्थ यह है कि 1-1 किग्रा की दो वस्तुएँ 1 मीटर दूरी पर रखने पर उनके बीच 6.67 x 10-11 न्यूटन का आकर्षण बल कार्य करता है। G का मान कम होने के कारण दैनिक जीवन में हम इस आकर्षण बल का अनुभव नहीं करते। परन्तु आकाशीय ग्रहों तथा उपग्रहों के द्रव्यमान अधिक होने के कारण यह आकर्षण बल आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है जिसके कारण पृथ्वी सूर्य के परितः तथा चन्द्रमा पृथ्वी के परितः परिक्रमा करता है।

गुरुत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियमानुसार संसार की प्रत्येक दो वस्तुओं के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है जिसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। यदि इन दो आकर्षित करने वाली वस्तुओं में से एक वस्तु पृथ्वी हो तो इस गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व कहते हैं।

अतः पृथ्वी जिस बल से किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है उसे गुरुत्व अथवा गुरुत्व बल कहते हैं। इसी गुरुत्व बल के कारण ही पृथ्वी से ऊपर की ओर फेंकी गई वस्तुएँ पुनः पृथ्वी पर आकर गिरती हैं। पृथ्वी की सतह पर रखी किसी वस्तु पर लगा गुरुत्व बल, पृथ्वी तथा वस्तु के बीच लगे गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है।

गुरुत्व बल के व्यावहारिक उपयोग (Practical Applications of Gravitational Force)

(1) जब कोई वस्तु ऊपर की ओर फेंकी जाती है तो वह गुरुत्व बल के कारण ही लौटकर पृथ्वी पर वापस आती है।

(2) गुरुत्व बल के कारण ही हम पृथ्वी पर खड़े रह सकते हैं।

(3) गुरुत्व बल ही कृत्रिम उपग्रहों के चक्कर लगाने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करता है।
(4) पृथ्वी पर वायुमण्डल की उपस्थिति भी गुरुत्व बल के कारण ही है।

गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration due to Gravity)— न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार बल से त्वरण उत्पन्न होता है, अतः गुरुत्वीय बल भी पृथ्वी की ओर गिरती हुई सभी वस्तुओं में एक त्वरण उत्पन्न करता है। गुरुत्वीय बल के कारण उत्पन्न त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं। इसे ‘8’ से प्रदर्शित करते हैं। अतः पृथ्वी पर स्वतन्त्र रूप से गिरती हुई.

वस्तु के वेग में 1 सेकण्ड में होने वाली वृद्धि को गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं। गुरुत्वीय त्वरण वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है।

गुरुत्वीय त्वरण के मात्रक (Units of Gravitational Acceleration)

S.I. पद्धति में g के मात्रक हैं—

(1) मीटर/सेकण्ड तथा
(2) न्यूटन/किग्रा

गुरुत्वीय त्वरण का आंकिक मान (Numerical Value of Gravitational Acceleration)— यद्यपि g का मान पृथ्वी तल पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवर्तित होता रहता है, परन्तु फिर भी इसका मध्यमान निम्नलिखित माना जाता है.

g तथा G में अन्तर (Differences between g and G)

गुरुत्वीय त्वरण (g)

  1. 8 गुरुत्वीय त्वरण को प्रदर्शित करता है।
  2. 8 का मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता.
  3. g का मान 9.81 मीटर/सेकण्ड होता है। 8 सदिश राशि है. 8 का मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है।

गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G)

  1. G गुरुत्वाकर्षण नियतांक को प्रदर्शित करता है।
  2. G का मान पूरे ब्रह्माण्ड के प्रत्येक स्थान पर सदैव नियत है।
  3. G का मान 6.67 × 10-11 न्यूटन मीटर/किग्रा होता है। G अदिश राशि है। G का मात्रक न्यूटन मीटर /किग्रा होता है।

द्रव्यमान तथा भार (Mass and Weight)

(1) द्रव्यमान (Mass)— किसी वस्तु का द्रव्यमान उस वस्तु में उपस्थित पदार्थ के परिमाण को कहते हैं। इसका मान प्रत्येक स्थान (पृथ्वी, अन्तरिक्ष या अन्य ग्रह) पर समान रहता है। यह एक अदिश राशि है। इसका मात्रक किग्रा है।

(2) भार (Weight)— पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है, अतः “किसी वस्तु पर पृथ्वी द्वारा लगाया गया आकर्षण बल वस्तु का भार कहलाता है।” इसकी दिशा सदैव पृथ्वी के केन्द्र की ओर होती है। चूंकि इसमें दिशा व परिमाण दोनों हैं; अतः यह एक सदिश राशि है। इसका मात्रक न्यूटन अथवा किग्रा भार है।

द्रव्यमान तथा भार में अन्तर (Differences between Mass and Weight)

द्रव्यमान (Mass)

  1. किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा ही उसका द्रव्यमान होती है।
  2. द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है।
  3. किसी वस्तु के द्रव्यमान का मान प्रत्येक स्थान पर समान रहता है। द्रव्यमान अदिश राशि है। द्रव्यमान को भौतिक तुला से तौला जाता है।

भार (Weight)

किसी वस्तु का भार उस बल के बराबर होता है, जिससे पृथ्वी उस वस्तु को आकर्षित करती है। भार का मात्रक न्यूटन अथवा किलोग्राम-भार है। वस्तु का भार (mg) गुरुत्वीय त्वरण 8 के परिवर्तन के कारण भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है। भार सदिश राशि है. भार ज्ञात करने के लिए कमानीदार (स्प्रिंग) तुला का प्रयोग करते हैं।

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