पदार्थ का परमाणु सिद्धांत – हिंदी में जानकारी

1886 ई. में गोल्डस्टीन (Goldstein) ने गैस विसर्जन नलिका में छिद्रयुक्त कैथोड प्रयोग करके दिखाया कि कुछ किरणें इन छिद्रों से निकलकर कैथोड के पीछे चली जाती हैं। ऐनोड से निकलने वाली इन किरणों का नाम एनोड किरणें (Anode rays) रखा गया। गोल्डस्टीन ने इन किरणों को कैनाल किरणें (Canal rays) कहा ।

डब्ल्यू, वीन (W. Wein) ने 1897 ई० में प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि कैनाल किरणें धन आवेशयुक्त क से मिलकर बनी हैं। इस आधार पर सर जे. जे. थॉमसन (1897 ई.) ने इन किरणों का नाम धन किरण (Positive rays) रखा।

धन किरणों के गुण (Properties of Positive Rays)

सर जे. जे. थॉमसन ने धन किरणों के गुणधर्मों का विस्तृत अध्ययन किया। उन्होंने विभिन्न प्रयोगों की सहायत से धन किरणों की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई-

(1) धन किरणें सीधी रेखा में चलती हैं।

(2) कैथोड किरणों की भाँति धन किरण भी क्षेपणी पहिये को घुमा देती हैं।

(3) धन किरणें चुम्बकीय तथा विद्युत क्षेत्र में अपने मार्ग से विक्षेपित हो जाती हैं। इनके विक्षेपित होने को दिशा कैथोड किरणों के विपरीत होती है।

(4) धन किरणें धातुओं की पतली पन्नी को वैधकर आर-पार निकल जाती है। इनकी वेधन शक्ति किरणों से कम होती हैं।

(5) धन किरणों का वेग कैथोड किरणों के वेग से कम होता है।

(6) इनका द्रव्यमान विसर्जन नलिका में ली गई गैस के परमाणुओं के लगभग बराबर होता है।

(7) से किरणें धन आवेशित कणों द्वारा निर्मित होती हैं। इन्हीं धन आवेशित मौलिक कणों को प्रोटॉन कहते हैं।

प्रोटॉन (Proton) के बारे में जानकारी

Properties of Positive Rays

प्रोटॉन हाइड्रोजन का वह नाभिक है जिस पर इकाई धन आवेश तथा इकाई भार होता है अर्थात् हाइड्रोजन परमाणु से प्राप्त धनात्मक कण ही प्रोटॉन कहलाते हैं।

1919 ई. में रदरफोर्ड ने नाइट्रोजन पर तीव्रगामी ऐल्फा कणों की बमबारी से प्रोटॉन प्राप्त किए तथा यह सिद्ध किया कि सभी तत्वों के परमाणुओं के नाभिक में प्रोटॉन होते हैं। एक ऐल्फा कण द्वारा नाइट्रोजन के एक परमाणु का विघटन निम्नांकित समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता.

प्रोटॉन की विशेषताएँ (Characteristics of Proton)

प्रोटॉन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा आवेश (Mass and charge of proton ) – प्रोटॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन के एक परमाणु के भार के बराबर होता है। (द्रव्यमान 1.672-10-25 ग्राम)। परमाणु द्रव्यमान इकाई (amu) में प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.0072 amu होता है।

(2) प्रोटॉन पर आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर अर्थात् + 1.602 101 कूलॉम या + 4.808 10-10 est होता है।

(3) प्रोटॉन प्रत्येक परमाणु के नाभिक का धनावेशित मौलिक कण है। इस पर इकाई धन आवेश होता है। इसे सामान्य रूप में से तथा नाभिकीय अभिक्रियाओं मे

(4) प्रोटॉन की त्रिज्या लगभग 10 सेमी होती है।

(5) विभिन्न गैसों से प्राप्त धन किरणों में हाइड्रोजन गैस से प्राप्त धन किरणों के लिए आवेश व द्रव्यमान का अनुपात (e/m) सर्वाधिक होता है। प्रयोगों से जात हाइड्रोजन गैस की धन किरणों के धानावेशित कण (H) के लिए 9.58×10* कूलॉम / ग्राम है।

अत: प्रोटॉन, परमाणु का वह सूक्ष्मतम कण है जिस पर इकाई धन विद्युत आवेश होता है और जिसका द्रव्यमान हाइड्रोजन के परमाणु द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।

न्यूट्रॉन की खोज (Discovery of Neutron) इंग्लिश वैज्ञानिक सर जेम्स चैडविक (James Chadwick) ने सर्वप्रथम 1932 ई. में बेरिलियम, बोरॉन आदि पर ऐल्फा कणों की बमबारी से उत्सर्जित किरणों की प्रकृति का अध्ययन किया और यह निष्कर्ष निकाला कि ये किरणें अति सूक्ष्म विद्युत उदासीन कणों से बनी हुई हैं जिनका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के बराबर है। विद्युत उदासीन होने के कारण इस मूल कण का नाम न्यूट्रॉन (Neutron) रखा गया। बेरिलियम व बोरॉन से न्यूट्रॉन की उत्पत्ति को निम्नलिखित समीकरणों से दर्शाया गया है.

न्यूट्रॉन की विशेषताएँ (Characteristics of Neutron)

न्यूट्रॉन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) न्यूट्रॉन उदासीन अथवा विद्युत आवेशरहित कण है। इसे सामान्य रूप से तथा नाभिकीय अभिक्रियाओं से व्यक्त करते हैं। में

(2) न्यूट्रॉन की त्रिज्या 10-12 सेमी होती है।

(3) न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.6750 × 10-24 ग्राम या परमाणु द्रव्यमान इकाई में 1.00867 amu होता है, जो प्रोटॉन से कुछ अधिक होता है।

(4) नाभिकीय अभिक्रियाओं से ज्ञात हुआ है कि सभी तत्वों के परमाणुओं में.

(5) न्यूट्रॉन की वेधन क्षमता भी अत्यधिक है, परन्तु कॉस्मिक किरणों से कम है।

(6) स्वतन्त्र न्यूट्रॉन का क्षय प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन में होता है तथा ऊर्जा उत्सर्जित होती है। अतः न्यूट्रॉन परमाणु का वह सूक्ष्म एवं उदासीन मूलकण है जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।

विशेष-परमाणुओं, नाभिकों एवं परमाणु के मूल कणों (इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों) आदि के द्रव्यमान को व्यक्त करने के लिए परमाणु द्रव्यमान इकाई (atomic mass unit amu) मात्रक का प्रयोग किया जाता है। 1 amu लगभग 1.66×10 27 किग्रा के बराबर होता है या 1/N ग्राम होता है। जहाँ N→ आवोगाद्रो संख्या है।

परमाणु के मौलिक कण (Fundamental Particles of Atom)

इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन परमाणुओं के मौलिक कण हैं।

इलेक्ट्रॉन (Electron)- इलेक्ट्रॉन का आविष्कार 1897 ई. में जे. जे. थॉमसन (J. J. Thomson) ने कैथोड किरणों के अध्ययन के फलस्वरूप किया था। ये अति सूक्ष्म ऋणावेशित मूल कण हैं। एक इलेक्ट्रॉन पर इकाई ऋणावेश होता है जिसका मान – 1.602-10 कूलॉम होता है। इलेक्ट्रॉन का इव्यमान ड्रोजन परमाणु J (1.0008 amu) का लगभग भाग होता है।

1837 प्रोटॉन (Proton)- प्रोटॉन की खोज 1919 ई. में इंग्लिश भौतिक वैज्ञानिक रदरफोर्ड (Rutherford) ने प्रोटॉन अति सूक्ष्म धनावेशित कण होता है। हाइड्रोजन परमाणु में से इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाने पर जो इकाई कण (H’) शेष रहता है, उसे हाइड्रोजन परमाणु का नाभिक (प्रोटॉन) कहते हैं। प्रोटीन का मान परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।

न्यूट्रॉन (Neutron) न्यूट्रॉन की खोज 1932 ई. में इंग्लिश वैज्ञानिक जेम्स चैडविक (James Chadwic ने की। न्यूट्रॉन विद्युत उदासीन कण है। इसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के मुख्य अभिलक्षण निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं.

थॉमसन का परमाणु मॉडल (Thomson Atomic Model)

इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन की खोज के पश्चात्, सर्वप्रथम परमाणु में उनके स्थान को निर्धारित करने की समस्या उत्पन्न हो गई। सन् 1898 ई. में जे. जे. थॉमसन ने परमाणु संरचना सम्बन्धी अपना विचार प्रस्तुत किया। उसके अनुसार परमाणु को 10-10 मीटर या | A त्रिज्या (लगभग) का ठोस गोला माना जा सकता है जो प्रोटॉनों के कारण धनावेशित होता है तथा जिसमें ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन भैंसे हुए रहते हैं।

ये इलेक्ट्रॉन परमाणु के धनावेश को सन्तुलित कर देते हैं। थॉमसन के परमाणु मॉडल को थॉमसन का प्लम- पुडिंग मॉडल (Thomson’s Plum Pudding model) भी कहा जाता है; क्योंकि इसका स्वरूप तरबूज के समान माना जा सकता है जिसमें परमाणु का धनादेश (प्रोटॉन) तरबूज के खाने वाले लाल भाग की भाँति फैला हुआ है जबकि इलक्ट्रॉन इसमें तरबूज के बीज के समान भैंसे रहते हैं।

सारांशतः थॉमसन के परमाणु मॉडल के अभिलाक्षणिक गुणधर्म निम्नलिखित हैं- (i) परमाणु के सम्पूर्ण आयतन में इलेक्ट्रॉन समान रूप से फैले हुए हैं। (ii) परमाणु का द्रव्यमान समान रूप से पूर्ण क्षेत्र में फैला हुआ है। (iii) परमाणु का आकार स्वतन्त्र रूप से 10-10 मीटर या 1 A के बराबर होता है। थॉमसन के परमाणु मॉडल की पुष्टि किसी प्रयोग से न होने के कारण इसे समर्थन प्राप्त नहीं हो सका।

रदरफोर्ड का Q-प्रकीर्णन प्रयोग : नाभिक की खोज

रदरफोर्ड (1911 ई.) ने परमाणु की आन्तरिक संरचना की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने हेतु स्वर्ण धातु की पतली पन्नी (0.0004 सेमी मोटी) पर ऐल्फा कणों की बमबारी का प्रयोग किया। इस प्रयोग में रदरफोर्ड ने स्वर्ण धातु की पत्नी को रेडियोऐक्टिव तत्व पोलोनियम से निकलने वाले (ऐल्फा) कर्णी एवं जिंक सल्फाइड के प्रतिदीप्तिशील पर्दे के बीच में रखा तथा एक माइक्रोस्कोप के द्वारा ऐल्फा-कर्णों के पर्दे पर गिरने से विभिन्न स्थानों पर उत्पन्न चमक की जाँच की।

(1) परमाणु के अन्दर अधिकांश स्थान रिक्त है-अधिकतर कण धातु की पत्नी से पार होकर सीधी रेखा में चले गए। इससे यह सिद्ध होता है कि परमाणु में अधिकांश स्थान खाली या रिक्त है।

(2) परमाणु में धनावेशित भाग है-कुछ ऐल्फा-किरणें धातु की पन्नी से टकराकर विक्षेपित हो जाती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि परमाणु के केन्द्र में एक धनावेशित भाग है, जो कि अति सूक्ष्म स्थान घेरे हुए है। परमाणु के इस केन्द्रीय भाग को, जिसमें परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान संकेन्द्रित होता है, नाभिक (Nucleus) कहते हैं।

(3) परमाणु के मध्य में सघन धनावेशित स्थान है-बहुत कम ऐल्फा कण 90° के कोण से अधिक कोण पर विक्षेपित हो पाते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि परमाणु के केन्द्र में जो अति सूक्ष्म धनावेशित भाग है, वह दृढ़ एवं सघन है।

रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल : परमाणु का नाभिकीय सिद्धांत

विभिन्न तत्वों के परमाणुओं पर तीव्रगामी व कर्णी की बमबारी के प्रयोग से प्राप्त प्रेक्षणों के आधार पर रदरफोर्ड ने निम्नलिखित सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसे परमाणु संरचना का नाभिकीय सिद्धांत कहते हैं-

(1) परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश और लगभग सम्पूर्ण द्रव्यमान उसके केन्द्र पर स्थित रहता है जिसे नाभिक (Nucleus) कहते हैं।

(2) नाभिक के चारों और रिक्त स्थान (empty space) होता है जिसमें आपेक्षिक रूप से इससे बहुत अधिक दूरी पर इलेक्ट्रॉन वितरित रहते हैं।

(3) परमाणु के नाभिक में स्थित धनावेशित कणों की संख्या ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है; अतः परमाणु विद्युत उदासीन होता है।

(4) परमाणु नाभिक की त्रिज्या 10 ” से 10 14 मीटर होती है, जबकि सम्पूर्ण परमाणु की त्रिज्या लगभग 100 मीटर होती है; अतः परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त रहता है।

(5) परमाणु के ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन इसके धनावेशित नाभिक के चारों और अपेक्षाकृत अधिक दूरी पर विभिन कक्षाओं (orbits) में चक्कर लगाते रहते हैं।

(6) नाभिक तथा उसके चारों ओर भ्रमण कर रहे इलक्ट्रॉन के बीच परस्पर स्थिर विद्युत आकर्षण होने के बावजूद भी इलेक्ट्रॉन तीव्र गति से भ्रमण करते रहते हैं और नाभिक में नहीं गिरते, क्योंकि इन इलेक्ट्रॉनों के परिक्रमण से उत्पन्न अपकेन्द्र बल (centrifugal force) नाभिक के स्थिर विद्युत आकर्षण बल (electrostatic force of attraction) को सन्तुलित कर देता है।

रदरफोर्ड परमाणु मॉडल की कमियाँ (Drawbacks of Rutherford’s Atomic Model)

रदरफोर्ड प्रतिमान (मॉडल) को सौर मॉडल (Solar model) भी कहते हैं; क्योंकि इस मॉडल में यह कल्पना की गई है कि जिस प्रकार सूर्य के चारों ओर पृथ्वी चक्कर लगाती है, उसी प्रकार नाभिक के चारों ओर इलक्ट्रॉन परिक्रमा करते हैं। इसलिए इलेक्ट्रॉनों को नक्षत्रीय इलेक्ट्रॉन (Planetary electrons) भी कहा जाता है। रदरफोर्ड परमाणु प्रतिमान में निम्नलिखित कमियाँ पाई गई-

(i) नील्स बोर (Neils Bohr) ने 1913 ई. में रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को मैक्सवेल के विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत के आधार पर दोषपूर्ण बताया.

मैक्सवेल के विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत के अनुसार, त्वरित गति करता हुआ विद्युत आवेश निरन्तर विद्युत चुम्बकीय तरंगें (electromagnetic radiations) विकिरित करेगा जिससे उसकी ऊर्जा में कमी होगी।

इलेक्ट्रॉन ऋण आवेशित कण है; अतः रदरफोर्ड मॉडल में नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा लगातार कम होती जाएगी और इसके फलस्वरूप इलक्ट्रॉनों की कक्षाएँ लगातार छोटी होती जाएँगी और अन्त में इलक्ट्रॉन नाभिक में गिर पड़ेंगे। इस प्रकार यह प्रतिमान परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या करने में असफल रहा।

(ii) रदरफोर्ड के परमाणु प्रतिमान में कक्षाओं में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की गई थी। नाभिक की संरचना (Structure of Nucleus) परमाणु के केन्द्र पर स्थित धनावेशित भाग की नाभिक (Nucleus) कहते हैं। इसका आकार अत्यन्त छोटा होता है। परमाणु के नाभिक की त्रिज्या लगभग 10 15 मीटर होती है.

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