Atom एवं Atom संरचना की पूरी हिंदी में जानकारी

ग्रीस के दार्शनिक लूसिपस (475 ई. पू.) तथा डिमोक्राइट्स (460-370 ई.पू.) ने भी यही कल्पना की थी कि परमाणु द्रव्य का सूक्ष्मतम अविभाज्य कण है। उस समय इन विचारों की सत्यता की प्रयोगों के द्वारा प्रमाणित नहीं किया जा सका।

बाद में वैज्ञानिकों ने बताया कि ये सूक्ष्म कण परमाणु (Atoms) हैं जिनके संयोग अथवा प्रतिस्थापन से नए पदार्थ बनते हैं। पदार्थ (द्रव्य) की संरचना के इस अनुमान को परमाणु सिद्धांत कहा जाता है। कोई भी वैज्ञानिक अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक इन सूक्ष्म कणों के विषय में स्पष्ट विचार न दे सका।

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dalton’s Atomic Theory)

द्रव्य की संरचना का विधिवत् तथा गहन अध्ययन करने के पश्चात् सर्वप्रथम मानचेस्टर (इंग्लैण्ड) के न्यू कॉलेज के अध्यापक जॉन डाल्टन (John Dalton) ने 1808 ई. में द्रव्य की संरचना तथा परमाणु सम्बन्धी एक सुव्यवस्थित विचार अपनी परिकल्पनाओं में प्रस्तुत किया जिसे डाल्टन का परमाणुवाद (Dalton’s atomic theory) कहा जाता है।

structure of atom

डाल्टन ने इस बात की पुष्टि की कि पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है। उन्होंने अपनी परिकल्पनाओं के आधार पर इन सूक्ष्मतम कणों को रासायनिक क्रिया में भाग लेने वाला अविभाज्य कण कहा और उन्हें परमाणु (Atoms) की संज्ञा दी। डाल्टन की परिकल्पनाओं के आधार पर रासायनिक संयोग के नियमों के साथ-साथ अन्य कई नियमों की व्याख्या की गई तथा उन्हें प्रयोगों के द्वारा सत्यापित भी किया गया। इस सिद्धांत की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-

(i) पदार्थ या तत्व अनेक सूक्ष्म कर्णों से बना है जिन्हें परमाणु (Atoms) कहते हैं।

(ii) परमाणु तत्व का सूक्ष्मतम कण है जिसे विभाजित नहीं किया जा सकता है तथा जो रासायनिक क्रिया के दौरान ज्यों-का-त्यों बना रहता है।

(iii) एक तत्व के सभी परमाणु भार आकार व अन्य गुणों में समान होते हैं।

(iv) विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के भार व गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।

(v) दो या दो से अधिक तत्वों के परमाणु छोटी छोटी पूर्ण संख्या में, निश्चित अनुपात में संयुक्त होते हैं तथा यौगिक-परमाणु बनाते हैं।

(Vi) एक ही यौगिक के सभी यौगिक-परमाणु समान होते हैं।

(vii) परमाणु अविनाशी है अर्थात् इसे न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। अतः डाल्टन के परमाणुवाद आधार पर, परमाणु तत्व का वह छोटे-से-छोटा अविभाज्य कण है जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है।

कित हुआ कि पदार्थ के परमाणु सिद्धांत में कुछ कमियाँ है, जो कि

निम्नलिखित है- () के परमाणु सिद्धांत में, परमाणु को अविभाज्य माना गया था। आधुनिक खोजों से ज्ञात हुआ कि

नहीं है, उसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटान तथा न्यून में विभाजित किया जा सकता है। परमसद्धांत में, किसी पदार्थ के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान समान कहा गया था, किन एक के परमाणुओं का मान भिन्न होता है।

(ii) के परमाणु सिद्धांत में, विभिन्न पदार्थ के परमाणुओं के द्रव्यमान को भिन्न-भिन्न कहा गया, किन्तु आधुनिक खोजों के अनुसार यह पता चला कि यह समान भी हो सकते हैं।

(iv) के परमाणु सिद्धांत के अनुसार, परमाणु को न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही उत्पन्न परन्तु प्रयोगों द्वारा स्पष्ट किया गया कि एक पदार्थ के परमाणुओं को नष्ट करके दूसरे पदार्थ के परमाणु में उत्पन्न किया जा सकता है।

(v) डाल्टन के परमाणु सिद्धांत में बताया गया कि परमाणु सदैव सरल पूर्णांक अनुपात में संयोग करके यौगिक बनाते हैं। अनेक कार्बनिक यौगिकों में तत्वों के परमाणुओं का अनुपात पूर्ण सांख्यिक होता है, किन्तु यह सरल नहीं है।। आधुनिक परमाणु सिद्धांत (Modern Atomic Theory)

उनी शताब्दी के अन्त से थॉमसन रदरफोर्ड एवं चैडविक आदि वैज्ञानिकों ने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण नहीं है, बल्कि परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन आदि सूक्ष्म कणों से मिलकर बना है, अतः आधुनिक परमाणु सिद्धांत के अनुसार,

(i) परमाणु अविभाज्य नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से मिलकर बना है।

(ii) एक ही तत्व के परमाणु भिन्न-भिन्न द्रव्यमान के भी हो सकते हैं, ऐसे परमाणुओं को समस्थानिक क

जाता है। जैसे प्रोटियम इयूटीरियम तथा ट्राइटियम हाइड्रोजन के समस्थानिक हैं।

(iii) भिन्न भिन्नतों के परमाणुओं के परमाणु द्रव्यमान समान हो सकते हैं, परन्तु उनके परमाणु क्रमांक भिन्न-भिन्न होते हैं। ऐसे परमाणुओं को समभारिक कहा जाता है।

(iv) तत्वों के परमाणु परस्पर संयोग करके अणु बनाते हैं।

(v) रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु ही भाग लेता है, अणु नहीं।

(vi) तत्व का मूल लक्षण परमाणु क्रमांक है न कि परमाणु भार ।

अत: परमाणु तत्व का वह छोटे से छोटा कण है, जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है, परन्तु स्वतन्त्र अवस्था में नहीं रह सकता है।

अणु- किसी पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतन्त्र अवस्था में रह सकता है तथा जिसका रासायनिक संघटन, पदार्थ के रासायनिक संघटन के समान होता है, उस पदार्थ का अणु कहलाता है। उदाहरण- जल के एक अणु में हाइड्रोजन परमाणुओं एवं ऑक्सीजन परमाणुओं के द्रव्यमानों का अनुपात 1: 8 होता है।

परमाणु के अवयव (Elements of an Atom)

बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में फैराडे, कुक्स, जे. जे. थॉमसन, रदरफोर्ड आदि वैज्ञानिकों के अनुसंधानों ने डाल्टर के परमाणु सिद्धांत का खण्डन किया। अब यह निश्चित हो चुका है कि परमाणु विभाज्य है। उसकी एक निशिया संरचना होती है तथा उसमें कई प्रकार के अवयवी कण अथवा मौलिक कण (fundamental praticles) विद्यमार रहते हैं। इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन परमाणु संरचना के प्रमुख अवयवी अथवा मूल कण हैं। इनको स्थायी का भी कहते हैं।

कैथोड किरणें (Cathode Rays) – कई भौतिक वैज्ञानिकों ने पैसों में विद्युत चालन के सम्बन्ध में प्रयोग किए जिनमें जे. जे. थॉमसन (J. J. Thomson) प्रमुख हैं। उन्होंने प्रदर्शित किया कि यदि गैसों का दाब कम कर दिया जाए तो वे विद्युत चालक हो जाती हैं।

उदाहरणार्थ- उन्होंने विसर्जन नलिका (discharge tube) में निम्न दाब (0.01 मिमी से 0.001 मिमी ) पर भरी हुई गैस में उच्च विभव (लगभग 10000 से 30000 वोल्ट पर विद्युत को प्रवाहित किया तो कैथोड़ से लम्ब दिशा में एक प्रकार की अदृश्य किरण निकलीं जिन्होंने काँच की नली में 7. विहरे रंग की प्रतिदीप्ति उत्पन्न की। इन किरणों को कैथोड किरण (Cathode rays) का नाम दिया गया।

कैथोड किरणों के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं-

(1) कैथोड किरणें सीधी रेखाओं में चलती हैं। इसकी पुष्टि किसी अपारदर्शी वस्तु को इनके पथ में रखने पर उस वस्तु की बनी छाया से होती है।

(2) कैथोड किरणें विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों में विशेषित हो जाती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि ये किरण विद्युत आवेशित कणों से मिलकर बनी हैं। विद्युत क्षेत्र में ये किरणें धन आवेशित प्लेट की ओर झुकती (विशेषत होती है; अतः ये किरणें ऋण आवेशित कणों से बनी हैं।

(3) ये किरणें यान्त्रिक प्रभाव उत्पन्न करती हैं। ये अपने पथ में रखी हुई हल्की वस्तुओं (जैसे- चखी प क्षेपणी चक्र) को चला सकती हैं जिससे सिद्ध होता है कि इनमें द्रव्य कण (Material particles) उपस्थित होने हैं। इन कणों का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग 1 1837 भाग होता है।

(4) ये किरणें फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती हैं। (5) ये किरणें कुछ ठोस पदार्थों; जैसे-काँच, बेरियम प्लैटिनोसायनाइड, जिंक सल्फाइड आदि के पर्दे पर पहने पर चमक उत्पन्न करती हैं।

(6) इन किरणों में अत्यधिक गतिज ऊर्जा होती है।

(7) ये किरणें गैसों को आयनित कर देती हैं।

(४) उच्च गलनांक की धातु से कैथोड किरणों के टकराने पर एक्स-किरणें (X-rays) उत्पन्न होती हैं।

इलेक्ट्रॉन (Electron)

कैथोड किरणों के गुणधमों के आधार पर सर जे. जे. थॉमसन तथा अन्य वैज्ञानिकों द्वारा कैथोड किरणों को प्रकृति पर किए गए विस्तृत अध्ययन से निम्नलिखित तथ्यों का पता चला, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इलेक्ट्रॉन सभी द्रव्यों के

आवश्यक एवं मूल अवयव (Fundamental constituents) हैं-

(1) कैथोड किरणें अति सूक्ष्म ऋणावेशित कणों से बनी होती हैं। इन्हीं ऋणावेशित कर्णो को इलेक्ट्रॉन को संज्ञा दी गई है।

(2) विसर्जन नलिका में कोई भी गैस तथा कैसे भी इलेक्ट्रोड प्रयुक्त करने पर गैस से प्राप्त कैथोड किरण के गुणों में कोई अन्तर नहीं होता; अतः इलेक्ट्रॉन सभी पदार्थों में विद्यमान ऋणात्मक कण है।

(3) 1884 ई. में थॉमस एल्वा एडीसन ने ज्ञात किया कि कुछ धातुओं के तार अथवा तन्तुओं को निर्यात में

गर्म करने पर तन्तुओं से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। इन इलेक्ट्रॉनों को सापायन (thermo-ions) और इस क्रिया की तापायनिक उत्सर्जन (Thermionic emission) कहते हैं।

(4) रेडियोएक्टिव पदार्थों से उत्सर्जित बीटा ( 1 ) किरणों में भी इलेक्ट्रॉन के गुण होते हैं।

(5) एक्स-किरणें (X-rays) से प्रभावित होकर सभी द्रव्य इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करते हैं।

इलेक्ट्रॉन की विशेषताएँ (Characteristics of Electron)

इलेक्ट्रॉन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) इलेक्ट्रॉन परमाणु का सबसे हल्का मौलिक कण है जिसको सामान्य रूप में से तथा नाभिकीय अभिक्रियाओं में से व्यक्त करते हैं।

(2) इलेक्ट्रॉन अत्यन्त सूक्ष्म कण होते हैं जिनकी त्रिज्या 1.8×10 सेमी होती है।

(3) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान तथ आवेश (Mass and charge of electron) विद्युत आवेशित द्रव्य कण होने

के कारण इलेक्ट्रॉन में द्रव्यमान तथा आवेश का होना आवश्यक है। प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात हुआ है कि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1091×10 28 ग्राम है.

परमाणु के द्रव्यमान का भाग है। इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश का परिमाण – 1.602×10-19 कूलॉम या 10 4.808×10 esu होता है।

(4) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान (211) तथा विद्युत आवेश (८) का अनुपात सदैव स्थिर रहता है।

इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.759×108 कूलॉम / ग्राम

(5) द्रव्यों में विद्युत प्रवाह इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है।

(6) तत्वों के गुण एवं रासायनिक संयोग सामान्यतः परमाणुओं के बाहरी कक्षा के इलेक्ट्रॉनों पर निर्भर करते हैं। अतः इलेक्ट्रॉन सभी परमाणुओं में उपस्थित वह सूक्ष्मतम मौलिक कण है जिस पर इकाई ऋण विद्युत आवेश होता है.

प्रोटॉन की खोज (Discovery of Proton)

चूँकि तत्वों के परमाणु विद्युत उदासीन होते हैं; किसी परमाणु में उपस्थित ऋणविद्युती कर्णो (इलेक्ट्रॉन) के बराबर एवं विपरीत आवेशयुक्त कणों (धनविद्युत कणों) का होना भी आवश्यक है।

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