गति (Motion) के बारे में जानकारी

हम अपने चारों ओर घूमती हुई वस्तुओं को देखते हैं; उनमें से कुछ तो एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर चलती हैं; जैसे— कार सड़क पर चलती है तथा हवाई जहाज एक शहर से दूसरे शहर की ओर उड़ता है। कभी-कभी हमें वस्तुओं की गति की अनुभूति आसानी से हो जाती है; जैसे दैनिक कार्यों में हमारी अपनी गति तथा सड़क पर चलते हुए वाहनों की गति।

कभी-कभी हमें अप्रत्यक्ष प्रमाणों से वस्तुओं की गति का आभास आसानी से हो जाता है, जबकि प्रत्यक्ष प्रमाणों से वस्तुओं की गति का आभास नहीं हो पाता जैसे— वायु की गति का आभास हमें हल्की वस्तुओं जैसे धूल, कागज तथा पेड़ों की टहनियों के हिलने से होता है। अरु: “यदि कोई वस्तु समय के साथ अपनी स्थिति बदलती है, तब समय के साथ उसकी स्थिति में परिवर्तन ही गति कहलाता है।”

गति के बारे में जानकारी

1. गति की सापेक्षता (Relativity of Motion)

विराम एवं गति सापेक्षिक (relative) शब्द हैं। एक ही वस्तु साथ-साथ गति एवं विराम दोनों में हो सकती है। जैसे— पटरियों पर दौड़ती रेलगाड़ी में बैठी सवारियाँ, पटरियों के किनारे खड़े वृक्षों तथा बिजली के खम्भों के सापेक्ष तो गति की अवस्था में हैं (क्योंकि उनके सापेक्ष सवारियों की स्थिति बदल रही है), परन्तु वे एक-दूसरे के सापेक्ष विरामावस्था में हैं (क्योंकि एक-दूसरे के सापेक्ष उनकी स्थिति में परिवर्तन नहीं हो रहा है)।

Motion
Motion

सवारियाँ रेलगाड़ी के सापेक्ष भी विरामावस्था में हैं; क्योंकि रेलगाड़ी के सापेक्ष भी उनकी स्थिति में परिवर्तन नहीं होता है। अतः किसी वस्तु को गति की अवस्था में तब कहा जाता है जब किसी स्थिर बिन्दु के सापेक्ष समय के साथ वस्तु की स्थिति में परिवर्तन हो रहा हो।

स्पष्टतः वस्तु की गति अवस्था तथा विरामावस्था सापेक्ष हैं। वस्तु की गति अवस्था अथवा विरामावस्था ज्ञात करने के लिए एक निश्चित स्थिर बिन्दु होना चाहिए, परन्तु ब्रह्माण्ड में कोई भी बिन्दु स्थिर नहीं है। यदि पृथ्वी पर कोई वस्तु रखी हैं। तो वह पृथ्वी के सापेक्ष तो विरामावस्था में होगी, परन्तु अन्तरिक्ष से देखने पर गति की अवस्था में होगी; क्योंकि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूम रही है तथा अपनी अक्ष पर भी भ्रमण कर रही है। वास्तव में, कोई भी वस्तु निरपेक्ष विश्राम (absolute rest) की अवस्था में नहीं रह सकती है।

2. विराम एवं गति अवस्था (Rest and Motion Stage)

वितम अवस्था (Rest Stage ) — यदि किसी वस्तु की स्थिति में समय के साथ-साथ कोई परिवर्तन नहीं होता है तो वह वस्तु विरामावस्था में कहलाती है। जैसे—मेज पर रखी पुस्तक, पृथ्वी पर खड़े पेड़-पौधे तथा बिजली के खम्भे आदि। गति अवस्था (Motion Stage)- यदि किसी वस्तु की स्थिति में समय के साथ-साथ परिवर्तन हो रहा हो तो वह वस्तु गति की अवस्था में कहलाती है। जैसे—सड़क पर दौड़ती मोटर कार, वायु में उड़ता वायुयान तथा नदी में चलती.

Visit Home Page Motion

भौतिक राशियों दो प्रकार की होती हैं- अदिश (scalar) तथा सदिश ( vector)

X1) अदिश राशियाँ (Scalar Quantities) जिन भौतिक राशियों को व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण (magnitude) की आवश्यकता होती है, दिशा की नहीं, उन्हें अदिश राशियाँ कहते हैं।

उदाहरण – लम्बाई, दूरी, समय, क्षेत्रफल, द्रव्यमान, आयतन, चाल, घनत्व, दाब, कार्य, ऊर्जा, शक्ति, कोण, ताप, विद्युत धारा, विद्युत विभव, आवृत्ति, विशिष्ट ऊष्मा आदि अदिश राशियाँ हैं।

अदिश राष्ट्रिययों को गणित के साधारण नियमों के अनुसार जोड़ा, घटाया, गुणा तथा भाग किया जा सकता है।

उदाहरण- विस्थापन, वेग, त्वरण, बल, संवेग, बल आघूर्ण, भार, विद्युत क्षेत्र आदि सदिश राशियाँ हैं।

किसी भी सदिश राशि को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए उस राशि के परिमाण के साथ-साथ उसकी दिशा का उल्लेख करना भी आवश्यक है। यदि हम अपने मित्र को यह कहें कि इस दरवाजे को बन्द करने के लिए 20 न्यूटन का बल लगाओ तो यह कथन अपूर्ण है। इसके लिए हमें यह कहना चाहिए कि इस दरवाजे को बन्द करने के लिए 20 न्यूटन का बल अन्दर की ओर लगाओ, अतः यह सदिश राशि है।

सदिश राशियों को गणित के साधारण नियमों द्वारा जोड़ा, घटाया तथा गुणा नहीं किया जा सकता।

ग्राफीय निरूपण (Graphical Representation)— किसी भी सदिश राशि को एक बाण (तीर) से निरूपित करते हैं। इस बाण को वेक्टर कहते हैं। बाण की लम्बाई उस राशि के परिमाण को तथा इसकी नोक (बाणाग्र) उस राशि की दिशा को प्रदर्शित करती है। सदिश राशि से प्रारम्भिक बिन्दु को पुच्छ (tail) तथा अन्तिम बिन्दु को बाणाग्र अथवा शीर्ष (head) कहते

हैं। सदिश राशियों को उनके ऊपर तीर लगाकर व्यक्त किया जाता है; जैसे—बल का F से तथा संवेग को P से प्रदर्शित किया जाता है।

अदिश तथा सदिश राशियों में अन्तर (Difference between Scalar and Vector Quantities)

सदिश राशियाँ (Vector Quantities)
1. सदिश राशियाँ में दिशा एवं परिमाण दोनों होते हैं। सदिश राशियों को गणित के साधारण नियमों द्वारा जोड़ा- घटाया नहीं जा सकता है।
2. सदिश राशियों को उनके ऊपर तीर लगाकर (जैसे—बल को F द्वारा) व्यक्त किया जाता.

ट्र्स एवं विस्थापन (Distance and Displacement)

दूरी (Distance) – गतिमान वस्तु की स्थिति समय के साथ-साथ बदलती रहती है, अतः किसी गतिमान वस्तु द्वारा किसी समय में तय किए गए मार्ग की लम्बाई को उस वस्तु द्वारा चली गई दूरी कहते हैं। इसमें दिशा का ज्ञान नहीं होता है। दूरी एक अदिश राशि है। दूरी का मात्रक मीटर है।

विस्थापन (Displacement)

किसी वस्तु की स्थिति में किसी विशेष दिशा में परिवर्तन को विस्थापन कहते हैं, अतः “किसी निश्चित दिशा में किसी गतिशील वस्तु की प्रारम्भिक एवं अन्तिम स्थितियों के बीच.

जैसे— कोई जलयान समुद्र में स्थान 4 से दूसरे स्थान B तक विभिन्न मार्गों (X, Y एवं Z) द्वारा पहुँच सकता है। अतः तीनों मार्गों पर विस्थापन = प्रारम्भिक एवं अन्तिम स्थितियों के बीच की न्यून्तम दूरी = AB विस्थापन एक सदिश राशि है।

इसका परिमाण ज्ञात करने के लिए दिशा का ज्ञान आवश्यक है। विस्थापन का मात्रक मीटर है।

दूरी तथा विस्थापन में अन्तर

दूरी (Distance)

  1. यह अदिश राशि है।
  2. यह सदैव धनात्मक होती है।
  3. यह वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग पर निर्भर करती है। इसका मान कभी भी शून्य नहीं हो सकता।

विस्थापन (Displacement)

  1. यह परिमाण तथा दिशा दोनों को व्यक्त करती है। यह सदिश राशि है।
  2. यह धनात्मक, ऋणात्मक अथवा शून्य भी हो सकता है। यह वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग पर निर्भर नहीं करता है। इसका मान शून्य भी हो सकता है।

एकसमान तथा असमान गति

(1) एकसमान गति (Uniform Motion)-
कोई गतिमान वस्तु किसी निश्चित दिशा में समान समयान्तरालों में समान दुरियाँ तय करती है तो वस्तु की गति एकसमान गति कहलाती है; जैसे— यदि कोई वाहन पहले घण्टे में 50 किमी, दूसरे घण्टे में 50 किमी तथा तीसरे घण्टे में भी 50 किमी चले तो उसकी गति एकसमान गति होगी।

यदि समय (1) को X-अक्ष के अनुदिश तथा दूरी (s) को Y-अक्ष के अनुदिश लेकर ग्राफ खींचा जाए तो यह ग्राफ चित्र 3.2 के अनुसार सरल रेखीय (straight line) होगा। इस ग्राफ को दूरी-समय ग्राफ कहते हैं।

(2) असमान गति (Non-uniform Motion)
यदि कोई वस्तु समान समयान्तरालों में भिन्न-भिन्न दूरी तय करती हो तो उसको गति असमान गति कहलाती है; जैसे यदि कोई वाहन पहले घण्टे में 15 किमी, दूसरे घण्टे में 20 किमी, तीसरे घण्टे में 18 किमी दूरियाँ चले तो उसकी गति असमान गति होगी।

असमान गति करती वस्तु के लिए दूरी-समय ग्राफ (X-अक्ष के अनुदिश समय तथा Y-अक्ष के अनुदिश दूरी लेकर खींचा गया ग्राफ) सरल रेखीय नहीं होता, बल्कि यह टेढ़ा-मेढ़ा अथवा के रूप में होता है (चित्र 3.3)। प्राप्त ग्राफ की आकृति, दूरी व समय के आपेक्षिक मानों पर निर्भर करती है।

समय के साथ दूरी परिवर्तन निम्नलिखित कारणों से हो सकता है-
(i) वस्तु की गति बदलने से
(i) समय के साथ वस्तु की गति की दिशा बदलने से,
(iii) समय के साथ वस्तु की गति व दिशा दोनों के बदलने से.

चाल तथा वेग (Speed and Velocity)

(1) चाल (Speed)— किसी वस्तु द्वारा एकांक समयान्तराल (time interval) में चली गई दूरी को वस्तु की चाल कहते हैं। यह अदिश राशि है। इसे से प्रदर्शित करते हैं।

एस. आई. प्रणाली (अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति) में चाल का मात्रक मीटर/सेकण्ड (m/s) है। इसके अन्य मात्रक सेमी/सेकण्ड (cm/s) तथा किमी/घण्टा (km/hr) हैं।

(2) वेग (Velocity)— किसी वस्तु द्वारा एकांक समय में निश्चित दिशा में चली गई दूरी अर्थात् विस्थापन को उसका वेग कहते हैं अथवा किसी वस्तु द्वारा एकांक समयान्तराल में तय किया गया विस्थापन वस्तु का वेग कहलाता है।

चाल तथा वेग में अन्तर (Differences between Speed and Velocity)

चाल (Speed)

  1. किसी वस्तु द्वारा एकांक समयान्तराल में चली गई दूरी को वस्तु की चाल कहते हैं।
  2. किसी वस्तु की चाल उस वस्तु के वेग के परि- माण के बराबर या उससे भी अधिक हो सकती.

चाल के प्रकार (Types of Speed)

चाल कई प्रकार की होती है—

(1) एकसमान चाल (Uniform Speed)– यदि कोई गतिमान वस्तु समान समयान्तरालों में समान दूरी तय करती है तो वस्तु की चाल एकसमान चाल कहलाती है।

(2) असमान चाल अथवा परिवर्ती चाल (Variable Speed) – यदि कोई गतिमान वस्तु समान समयान्तरालों में भिन्न-भिन्न दूरी तय करती है तो वस्तु की चाल असमान चाल अथवा परिवर्ती चाल कहलाती है।

(3) औसत चाल (Average Speed)- किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई औसत दूरी को वस्तु की औसत चाल कहते हैं अर्थात् वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी तथा कुल दूरी तय करने में लगे समय का अनुपात वस्तु की औसत चाल कहलाती है.

यदि वस्तु की गति एकसमान हो (एकसमान चाल), तब चाल तथा औसत चाल में कोई अन्तर नहीं होता है।

(4) तात्कालिक चाल (Instantaneous Speed)— किसी निश्चित क्षण पर अथवा विशेष समय पर गतिमान वस्तु की चाल तात्कालिक चाल कहलाती है।
अथवा किसी क्षण पर अत्यन्त सूक्ष्म समयान्तराल में वस्तु द्वारा चली गई दूरी तथा सूक्ष्म समयान्तराल के अनुपात को वस्तु की तात्कालिक चाल कहते हैं।
माना किसी क्षण पर गतिमान वस्तु द्वारा अल्प समयान्तराल Ar में तय की गई दूरी As है.

वेग के प्रकार (Types of Velocity)

वेग कई प्रकार के होते हैं—

(1) एकसमान वेग (Uniform Velocity)— यदि कोई गतिमान वस्तु किसी निश्चित दिशा में, समान समयान्तराल में समान दूरी तय करती है तो उसका वेग एकसमान वेग कहलाता है।

(2) असमान वेग (Variable Velocity)— यदि कोई गतिमान वस्तु निश्चित दिशा में समान समयान्तरालों में असमान दूरियाँ तय करती है तो उसका वेग असमान वेग कहलाता है।

(3) औसत वेग (Average Velocity) — किसी वस्तु द्वारा किसी समय में तय किए गए कुल विस्थापन तथा विस्थापन तय करने में लगे कुल समय का अनुपात वस्तु का औसत वेग कहलाता है.
(4) तात्कालिक वेग (Instantaneous Velocity)— किसी क्षण पर अत्यन्त सूक्ष्म समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किए गए 2 अत्यन्त सूक्ष्म विस्थापन तथा सूक्ष्म समयान्तराल के अनुपात को वस्तु का तात्कालिका वेग कहते हैं।

Leave a Comment